कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स मैदान में एक ऐसा पल आया जिसे भारतीय क्रिकेट प्रेमी शायद नहीं भूल पाएंगे – 15 साल बाद, दक्षिण अफ्रीका ने भारत को उसके ही घर में टेस्ट मैच में मात दी। यह जीत सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि उस आत्मविश्वास और रणनीति की जीत है, जिसने SA को भारत के खिलाफ एक बड़ी बढ़त दी है।
मैच की पृष्ठभूमि और शुरुआत
पांच नम्बर की टीम इंडिया ने टेस्ट की शुरुआत में चार गेंदबाज़ों (स्पिनर + पेसर) के साथ जाने का फैसला किया, क्योंकि कोलकाता की पिच में पहले से अनिश्चित उछाल और मिश्रित बाउंस की संभावनाएं दिख रही थीं। दक्षिण अफ्रीका ने पहले बल्लेबाज़ी चुनी, लेकिन उनकी पहली पारी सिर्फ 159 रन पर ही बंद हो गई।
यह भारत के गेंदबाज़ों – बुमराह, सिराज, कुलदीप – की संयमित और आक्रामक गेंदबाज़ी का प्रदर्शन था। बुमराह ने 5 विकेट चटकाए और पेस तथा लाइन का बेहतरीन मिश्रण दिखाया।
भारत की पहली पारी – बढ़त लेकिन सीमित
भारत ने अपनी पहली पारी में 189 रन बनाए, जिससे SA पर करीब 30 रन की बढ़त हासिल हो गई। हालाँकि यह बढ़त किसी बड़े लक्ष्य जैसा नहीं था। भारत के लिए सबसे बड़ा झटका पहली पारी में शुभमन गिल की चोट था, जिससे उनका योगदान सीमित रहा।
मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ों ने स्कोर को बहुत ऊपर नहीं ले जा पाया, जिससे भारत की “कमाल की पकड़” कुछ मजबूत नहीं दिखी।
दूसरा दिन – गेंदबाज़ों का जलवा और SA पर दबाव
दूसरे दिन भारतीय गेंदबाज़ों ने फिर कमाल किया: कुल 15 विकेट गिरे। रवींद्र जडेजा ने 4 विकेट लिए और SA की पिच पर उनकी स्पिन-चालें बहुत असरदार रहीं।
भारत की गेंदबाज़ी ने SA को बहुत शुरुआती दबाव में ला दिया और उनकी दूसरी पारी 93/7 तक पहुंच गई, जब दिन का खेल खत्म हुआ।
तीसरा दिन – SA की वापसी और बावुमा की जुझारू पारी
तीसरे दिन SA की हालत बहुत नाज़ुक थी, लेकिन उनके कप्तान टेंबा बावुमा ने मैच को फिर से जिंदा कर दिया। उन्होंने 55 रन नाबाद की पारी खेली, जिसने SA को लड़ने लायक स्कोर तक पहुंचाया। उनकी यह पारी टीम को आत्मविश्वास दे रही थी क्योंकि पिच पर टर्न था और बल्लेबाज़ों के लिए चुनौतियाँ बहुत थीं।
SA ने अपनी दूसरी पारी 153 रन बनाकर खत्म की और भारत को 124 रन का लक्ष्य दे दिया।
चौथी पारी – भारत का शर्मनाक कोलैप्स
चेज़ करना आसान दिख रहा था, लेकिन भारत की बल्लेबाज़ी ने चौथी पारी में निराश किया: टीम सिर्फ 93 रन पर ऑल-आउट हो गई।
खुलने में भारत को बड़ा झटका लगा – शुरुआती बल्लेबाज़ जल्दी आउट हो गए; यशसवी जायसवाल 0 पर गिरे, और KL राहुल भी सिर्फ 1 रन पर आउट हुए।
Simon Harmer, SA के ऑफ़ स्पिनर, ने बीच-बीच में भारत को लगातार परेशान किया। उन्होंने दूसरे स्पेल में 4-21 वज़नदार विकट लिए।
Keshav Maharaj ने भी मुलायम-पर-प्रभावी गेंदबाज़ी की – रन रोकने और विकेट लेने दोनों तरह का काम किया।
एक और महत्वपूर्ण बात: Axar पटेल ने कुछ देर लोहे की लड़ाई की, लेकिन उनकी कोशिश स्टैंड-बाय स्टैंड बड़ी साझेदारी में बदल नहीं सकी।
SA के हीरो – जिन्होंने मैच पलटा
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टेंबा बावुमा: उनकी नाबाद पारी और कप्तानी ने SA की वापसी सुनिश्चित की।
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साइमन हार्मर: उनकी स्पिन-गेंदों ने चौथी पारी में भारत की बल्लेबाज़ी को बुरी तरह झटका दिया।
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केशव महाराज: स्पिन में निरंतरता बनाए रखी और रन रोकते हुए विकेट भी लिए।
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मार्को जांसेन: शुरुआती ओवरों में उनकी पेस गेंदबाज़ी ने भारत को शुरुआती झटके दिए।
मैच के मायने और सबक – भारत के लिए चेतावनी
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मजबूत शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण है
भारत की पहली पारी अच्छी रही, लेकिन यह बहुत बड़ा स्कोर नहीं था। चौथी पारी में लक्ष्य चेज़ करते समय टीम को बड़े साझेदारियों की ज़रूरत थी। -
पिच और परिस्थितियाँ समझना जरूरी
ईडन गार्डन्स की पिच इस टेस्ट में बल्लेबाज़ी-मैत्रीपूर्ण नहीं रही – टर्न और अनिश्चित बाउंस बहुत था। SA ने स्पिन का पूरा फायदा उठाया। -
दबाव में खिलाड़ी कैसे प्रतिक्रिया देते हैं
भारत के बल्लेबाज़ चेज़ में दबाव में आए और गलत शॉट खेलने लगे। बड़े शॉट्स को जिम्मेदारी के साथ नहीं खेला गया। -
मैच टर्नर खिलाड़ी की अहमियत
SA के लिए बावुमा और हार्मर ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने बड़े मौके पर बढ़-चढ़ कर योगदान दिया – यही मैच जीतने की कुंजी बनी।
निष्कर्ष
कोलकाता में 15 साल बाद India में India को हराया South Africa ने – यह केवल एक टैक्स्ट बुक हेडलाइन नहीं है, बल्कि SA की रणनीति, साहस और संयम की जीत है। भारत को इस हार से सिर्फ निराशा नहीं हासिल हुई, बल्कि वह गहरा सबक भी मिला है – चाहे वह रणनीति हो, मानसिक मजबूती हो, या साझेदारी की कमी हो।
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